ह्यूमिक एसिड के लाभ (Benefits of Humic Acid)

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umic Acid - ह्यूमिक एसिड पौधों की जड़ों और पत्तियों के माध्यम से पोषक तत्व उपलब्ध कराता है ह्यूमिक एसिड पौधा व मिट्टी के पोषण एवं संरचना को बेहतर बनाने की दिशा में काफी कारगर होता है। ह्युमिक एसिड मुख्य रूप से मिट्टी को भुरभुरी बनाता हैं जिससे पौधों के जड़ों का विकास अधिक होता है। इतना ही नहीं, यह एसिड पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को भी तेज करता है। जिससे पौधों में हरापन आता है और शाखाओं की भरपूर वृद्धि होती है। ये बातें डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पूसा के सह निदेशक अनुसंधान एवं अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. संजय कुमार सिंह ने कही। उन्होंने ह्यूमिक एसिड के प्रयोग से होने वाले लाभ एवं इसके प्रयोग विधि को लेकर किसानों को जानकारी देते हुए बताया कि ह्युमिक एसिड जैविक पदार्थ जैसे लिग्निएट, पीट एवं मृदा समूह पदार्थो का ही एक सदस्य है। यह एसिड पौधों के अंदर जहां एंजाइम और हार्मोन को उत्तेजित करता है। वहीं पौधों के जड़ श्वसन और द्वितीयक व तृतीयक जड़ों के गठन को बढ़ाकर मजबूत बनाता है। उन्होंने कहा कि ह्यूमिक एसिड पौधों की जड़ों और पत्तियों के माध्यम से सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है। यह पौधों के अंदर विटामिन की मात्रा को बढ़ाने के साथ-साथ मिट्टी का वातन और मिट्टी में जल धारण क्षमता को भी बढ़ाता है।

किसान ऐसे करें ह्यूमिक एसिड का उपयोग-

कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को बताया कि वे ह्यूमिक एसिड का प्रयोग मिट्टी में करने के साथ इससे पर्णीय छिड़काव और बीजो का उपचार भी कर सकते है। उन्होंने कहा कि किसान 1 लीटर ह्यूमिक एसिड (12 प्रतिशत डब्लू ऑबलिक डब्लू) को एक एकड़ खेत की मिट्टी के लिए प्रयोग कर सकते हैं। इतना ही नहीं इसका उपयोग अकेले या अन्य उर्वरक के साथ या ड्रिप सिंचाई के माध्यम से किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ह्यूमिक एसिड द्वारा पर्णीय छिड़काव पौधों पर फूल आने से पहले या सक्रिय वानस्पतिक अवस्था में करना चाहिए। इसके अलावा सुबह या शाम के समय में किसान सभी फसलों में मासिक अंतराल पर ह्यूमिक एसिड का 2 से 3 एमएल मात्रा को प्रति लीटर पानी के साथ घोलकर भी छिड़काव कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि किसान ह्यूमिक एसिड से बीजो को उपचारित करने के लिए सर्वप्रथम फसलों की बुआई से कम से कम 1 घंटा पहले पर्याप्त मात्रा के जल में ह्यूमिक एसिड का 10 एमएल मात्रा मिला दें। इसके बाद फसलों के बीज को इस पानी में अच्छे से भींगा दें।


इससे होने वाले लाभ

  • इसका सबसे महत्वपूर्ण काम ये है कि ये मिट्टी को भुरभुरी करता है, जिससे जड़ों का विकास अधिक होता है। 
  • ये प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज करता है, जिससे पौधे में हरापन आता है और शाखाओं में वृद्धि होती है। 
  • ये पौधे की तृतीयक जड़ों का विकास करता है जिससे की जर्मी से पोषक तत्वों का अवशोषण अधिक हो सके। 
  • पौधे में फलों और फूलों की वृद्धि करता है। 
  • मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करता है। पौधे की चयापचयी क्रियाओं में वृद्धि करता है। उपज में भी वृद्धि होती है।
  • मिटटी की रासायनिक , भौतिक एंव जैविक सरंचना में सुधार करता है , जिससे मिटटी भुरभुरी बनती है।
  • हरित लवक की मात्रा बढाता है परिणाम स्वरूप पौधा हराभरा रहता है!! बदलते मौसम से पौधे तनाव में आ जाते है ,यंह पौधे को तनाव से बचाता है।
  • फसल कि अच्छी बढवार करता है!! मिटटी की पानी को पकड़ के रखनेकी क्षमता को बढाता है।
  • यदि कम बारिश होती भी है तो यंह मिटटी में नमी बनाये रखता है!! सुखा में अत्यंत उपयोगी है, पौधे की जड़ो को बढाता है ,जिससे पौधे आसानीसे मिटटी से पोषकतत्व लेते है और अपना विकास करते है।