Bispyribac Sodium 10% SC Uses in Hindi (बिस्पाइरिबैक सोडियम 10% एस.सी.)

बिस्पाइरीबैक-सोडियम, बिस्पाइरीबैक का कार्बनिक सोडियम नमक है। इसका उपयोग चावल की फसलों में घास, सेज और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए एक व्यापक स्पेक्ट्रम पोस्ट-इमर्जेंट शाकनाशी के रूप में किया जाता है। बिस्पाइरिबैक सोडियम एक प्रणालीगत शाकनाशी है जो पूरे पौधे के ऊतकों में घूमता है और पौधे के विकास के लिए आवश्यक एंजाइम एसिटोलैक्टेट सिंथेज़ (एएलएस) के उत्पादन में हस्तक्षेप करके काम करता है।

तकनीकी नाम - बिस्पाइरिबैक सोडियम 10% एस.सी.

विवरण -

  1. खरपतवारों के उगने के बाद इस्तेमाल करें।
  2. मुख्यतः घासों, सेजेज़ और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों का प्रभावी रूप से नियंत्रण।
  3. धान के सभी चरण जैसे नर्सरी, रोपित धान एवं सीधी बिजाई में उपयोगी।
  4. खरपतवारों में अमीनो संश्लेषित एसीटोहाइड्रॉक्सीएसिड सिंथेस को रोकता है, जो कि कोशिका विभाजन का निर्माण करता है। यह धान के फसल के लिए सुरक्षित है और भारत में उगाए जाने वाले धान की किस्मों को प्रभावित नहीं करता।
  5. खरपतवारों की 2-5 पत्तियों की अवस्था में उपयोग करें। किसानों को इसे इस्तेमाल करने के लिए 10-15 दिनों के समय-सीमा की सहूलियत दी गयी है।
  6. खरपतवारों की पत्तियों में अवशोषित होने के लगभग एक सप्ताह में वह सूख जाते हैं।
  7. इस्तेमाल करने का समय और इसकी विधि इस्तेमाल करने के लिए खरपतवार की अवस्था 5 पत्ती के अवस्था (चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार) 2-3 इंच की ऊंचाई।
  8. बिस्पाइरीबैक-सोडियम का छिड़काव खरपतवार के उभरने के बाद या 2-5 पत्तियों की अवस्था में किया जाना चाहिए। यह जलमग्र खरपतवारों पर प्रभावी नहीं होता।

Viva Crop Sciences India Pvt. Ltd.


बिसपायरिबेक सोडियम खरपतवारनाशक के फायदे -

  1. फसलों में खरपतवार डालने के बहुत सारे फायदे देखने को मिलते हैं क्योंकि आजकल मजदूरी खर्चा बहुत हो गया है।
  2. तो ऐसे में देखा जाए तो एक बार हम अगर खरपतवार खेत में डाल दें तो हमको फिर से निराई गुड़ाई की चिंता नहीं होती।
  3. जिससे हमारा बहुत से पैसा खर्च बच जाता है इसका छिड़काव कर देने के बाद यह फसलों की रक्षा करते हुए पूरी तरह से खरपतवार की फसलों में रक्षा करती है जिससे हमें कोई चिंता नहीं होती तो यह फायदा हमको इसके देखने को मिलते हैं।

कैसे इस्तेमाल करे-

उपयोग एवं मात्रा-

फसल

खरपतवारों के नाम

मात्रा प्रति एकड़

अवधि (दिनों में)

सरंचना (मिली)

पानी (लीटर)

धान (नर्सरी) एवं (रोपित)

सांवा घास, जंगली धान, मारफूला / बड़ा नागर मोथा, छतरी वाला मोथा, स्माथ, भगरा, मधनली, हुर्रा घास, भृंगराज / केशराज, गऊन्डी, चिकन स्पाईक, गुज वीड

80

120

7-8

धान (सीधी विजाई)

80-100

120

7-8

 

बिसपायरिबेक सोडियम खरपतवारनाशक कभी कभी काम नहीं करता क्यों?-

कई बार ऐसा होता है कि हम जो दवाई खेत मे डालते है वह ठीक से काम नहीं करता ऐसी परेशानी कई किसानों के साथ देखने को मिलता है ।

इसका कारण है दवा के प्रति मिट्टी प्रतिरोधक क्षमता बना लेती है क्योंकि लगातार एक ही दवाई को डालने से मिट्टी उस जहर के प्रति सहनशील हो जाती है।

उसके बाद फिर वही दवाई डालेंगे तो या तो वह दवाई काम नहीं करेगा या फिर उसकी मात्रा बड़ जाएगी इसका मतलब हम अगर 100ML दवा डाल रहे थे अब वहां 150ML दवा डालनी पड़ेगी।

इसलिए किसान ध्यान दे कि अपनी फसल में Technical बदलकर-बदलकर दवाई उपयोग करनी चाहिए जिससे हर बार दवाई काम करेगी। क्योकि फसलो की एक बीमारी के लिए अलग अलग Technical की दवाई द्वारा रोकथाम किया जाता है।


खरपतवार नाशक के नुकसान -

  1. खेतों में लगातार हर साल हर प्रकार की बीमारी के लिए दवाई डालने पर मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण होने लगती है।
  2. हम अपनी सुविधा के लिए ना जाने कितनी बार कीटनाशक, खरपतवार नाशक, विटामिन की दवाई लगातार डालते जाते हैं।
  3. जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती जाती है और हर साल दवा की मात्रा भी बढ़ती जाती है जिससे हर साल किसानी का खर्चा बढ़ता जाता है।
  4. जिससे हमें कई बार नुकसान होने लगता है तो इसी कारण जितनी कम हो सके खेतों में दवाई डालें तभी आगे चलकर हमको फायदा देखने को मिलेगा।

इस्तेमाल करने का समय -

  1. चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार 5 पत्ती की अवस्था पर दवा का प्रयोग कर लेना चाहिए।
  2. खरपतवार 2-3 इंच की ऊंचाई पर 80-100 मिली प्रति एकड़ के हिसाब से 120 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। (यह खेत में खरपतवार की स्थिति उनकी विकास अवस्था, संख्या एवं उपयोग के समय पर निर्भर करता है।)
  3. बिस्पाइरिबैक सोडियम 10% एस.सी. का उपयोग खेत के पानी को निकालने के बाद किया जाना चाहिए। बेहतर परिणाम के लिए उपयोग करने के 2-3 दिनों बाद दोबारा सिंचाई करें और अगले 7 दिनों तक पानी को उपचारित क्षेत्र में बनाये रखें।
  4. बिस्पाइरिबैक सोडियम 10% एस.सी. का उपयोग केवल छिड़काव के रूप में किया जाना चाहिए और खरपतवारों की पत्तियों पर एक समान रूप से छिड़काव होना चाहिए। इसे रेत या उर्वरक या किसी भी अन्य पद्धति के साथ नहीं मिलाया जाना चाहिए।
  5. बिस्पाइरिबैक सोडियम 10% एस.सी. का खरपतवारों पर एक समान छिड़काव होना चाहिए। छिड़काव के लिए हमेशा फ्लड जेट या फ्लैट फेन नोजल का ही इस्तेमाल करें।

सावधानियां-

  1. रेन फास्टनेस (Rain Fastness) 6 घंटो तक की होती है। खेत में बूंदा बांदी होते समय बिस्पाइरिबैक सोडियम 10% एस.सी. का छिड़काव ना करें।
  2. बिस्पाइरिबैक सोडियम 10% एस.सी. के साथ कोई भी नॉन केम्पेटीबल कीटनाशक ना मिलाएं।
  3. मत्स्यपालन वाले क्षेत्र में बिस्पाइरिबैक सोडियम 10% एस.सी. का उपयोग ना करें। 

विशेष टिप्पणी - यहां प्रदान की गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। कृपया इस्तेमाल करने से पहले संलग्न लेबल और लीफलेट को पढ़ लें और प्रदत्त निर्देशों का पालन करें। उत्पादों के पैकेज का निपटान सुरक्षित ढंग से किया जाना चाहिए, ताकि पर्यावरण और जल प्रदूषण ना हो। सूचना- उत्पादों का भण्डारण और इस्तेमाल हमारे नियंत्रण से बाहर है, इसलिए हम अपने उत्पादों की एकसमान गुणवत्ता के अलावा और किसी भी चीज का उत्तरदायित्व नहीं लेते हैं।

फ़सल की अवस्था - नर्सरी अवस्था - नर्सरी धान की बुवाई के 10-12 दिन। रोपित चावल - 10-14 दिनों के भीतर जब अधिकांश खरपतवार पहले ही निकल चुके हों। सीधी बीज वाली धान- बुवाई के 15-25 दिनों के भीतर और खरपतवार अवस्था 3-4 पत्ती अवस्था पर प्रयोग करें !

महत्वपूर्ण सुचना - छिड़काव से पहले धान के खेत से पानी हटा दें, एक समान स्प्रे के लिए फ्लैट पंखे/फ्लड जेट नोजल का उपयोग करें, आवेदन के 2-3 दिनों के भीतर खेत को पानी से भर दें और कम से कम 10 दिनों के लिए 3-4 सेमी. तक खेत में पानी को बनाएं रखें।